Moral Stories

(1) रात के एक बजा था, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी,
वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहा था।
पर चैन नहीं पड़ रहा था ।

आखिर मैं थक कर नीचे उतर आया और कार निकाली
 शहर की सड़कों पर निकल गया। रास्ते में एक गुरुद्वारा दिखा सोचा थोड़ी देर इस गुरुद्वारे में जाकर बैठता हूँ। 
अरदास करता हूं तो शायद शांति मिल जाये।

वह सेठ गुरुद्वारे के अंदर गया तो देखा, एक दूसरा आदमी पहले से ही गुरु गृंथ साहिब के सामने बैठा था, मगर उसका उदास चेहरा, आंखों में करूणा दर्श रही थी।

सेठ ने पूछा " क्यों भाई इतनी रात को गुरुद्वारे में क्या कर रहे हो ?"

आदमी ने कहा " मेरी पत्नी अस्पताल में है, सुबह यदि उसका आपरेशन नहीं हुआ तो वह मर जायेगी और मेरे पास आपरेशन के लिए पैसा नहीं है "

उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रूपए थे  वह उस आदमी को दे दिए। अब गरीब आदमी के चहरे पर चमक आ गईं थीं ।

सेठ ने अपना कार्ड दिया और कहा इसमें फोन नम्बर और पता भी है और जरूरत हो तो निसंकोच बताना।

उस गरीब आदमी ने कार्ड वापिस दे दिया और कहा
"मेरे पास उसका पता है " इस पते की जरूरत नहीं है सेठजी

आश्चर्य से सेठ ने कहा "किसका पता है भाई
"उस गरीब आदमी ने कहा
"जिसने रात को ढाई बजे आपको यहां भेजा उसका"



(2) मनुष्य का मानसिक असंतुलन और अव्यवस्थित दिनचर्या तथा असंतुलित भोजन ही शारीरिक रोग और विकारों को जन्म देता है। 
अच्छे लोगों के साथ बैठें और अच्छे शास्त्र पढें--
दिनचर्या को नियमित करें--
शुद्ध संतुलित आहार लें---
शरीर के 80% रोग बिना दवाईयों के धीरे धीरे ठीक होने लगेंगे।
आत्मविश्वास सबसे बड़ी औषधि हैं






(3) थोड़ा समय लगेगा लेकिन पढ़ना जरूर, आंसू आ जाए तो जान लेना आपकी भावनाएं जीवित हैं ....
बात बहुत पुरानी है। 
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आठ-दस साल पहले की है  ।
 मैं अपने एक मित्र का पासपोर्ट बनवाने के लिए दिल्ली के पासपोर्ट ऑफिस गया था। 

उन दिनों इंटरनेट पर फार्म भरने की सुविधा नहीं थी। पासपोर्ट दफ्तर में दलालों का बोलबाला था 
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और खुलेआम दलाल पैसे लेकर पासपोर्ट के फार्म बेचने से लेकर उसे भरवाने, जमा करवाने और पासपोर्ट बनवाने का काम करते थे। 

मेरे मित्र को किसी कारण से पासपोर्ट की जल्दी थी, लेकिन दलालों के दलदल में फंसना नहीं चाहते थे। 

हम पासपोर्ट दफ्तर पहुंच गए, लाइन में लग कर हमने पासपोर्ट का तत्काल फार्म भी ले लिया। 
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पूरा फार्म भर लिया। इस चक्कर में कई घंटे निकल चुके थे, और अब हमें किसी तरह पासपोर्ट की फीस जमा करानी थी। 

हम लाइन में खड़े हुए लेकिन जैसे ही हमारा नंबर आया बाबू ने खिड़की बंद कर दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है अब कल आइएगा। 

मैंने उससे मिन्नतें की, उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस जमा कराने की बात रह गई है, कृपया फीस ले लीजिए। 

बाबू बिगड़ गया। कहने लगा, "आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिए वो जिम्मेदार है क्या? अरे सरकार ज्यादा लोगों को बहाल करे। मैं तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूं।" 

मैने बहुत अनुरोध किया पर वो नहीं माना। उसने कहा कि बस दो बजे तक का समय होता है, दो बज गए। अब कुछ नहीं हो सकता। 

मैं समझ रहा था कि सुबह से दलालों का काम वो कर रहा था, लेकिन जैसे ही बिना दलाल वाला काम आया उसने बहाने शुरू कर दिए हैं। 

पर हम भी अड़े हुए थे कि बिना अपने पद का इस्तेमाल किए और बिना उपर से पैसे खिलाए इस काम को अंजाम देना है। 

मैं ये भी समझ गया था कि अब कल अगर आए तो कल का भी पूरा दिन निकल ही जाएगा, क्योंकि दलाल हर खिड़की को घेर कर खड़े रहते हैं, और आम आदमी वहां तक पहुंचने में बिलबिला उठता है।

खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो अब कल आएंगे। 

मैंने उसे रोका। कहा कि रुको एक और कोशिश करता हूं। 

बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं, चुपचाप उसके-पीछे हो लिया। वो उसी दफ्तर में तीसरी या चौथी मंजिल पर बनी एक कैंटीन में गया, वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और धीरे-धीरे अकेला खाने लगा। 

मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। उसने मेरी ओर देखा और बुरा सा मुंह बनाया। मैं उसकी ओर देख कर मुस्कुराया। उससे मैंने पूछा कि रोज घर से खाना लाते हो? 

उसने अनमने से कहा कि हां, रोज घर से लाता हूं। 

मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत से नए-नए लोगों से मिलते होगे? 

वो पता नहीं क्या समझा और कहने लगा कि हां मैं तो एक से एक बड़े अधिकारियों से मिलता हूं।

कई आईएएस, आईपीएस, विधायक और न जाने कौन-कौन रोज यहां आते हैं। मेरी कुर्सी के सामने बड़े-बड़े लोग इंतजार करते हैं। 

मैंने बहुत गौर से देखा, ऐसा कहते हुए उसके चेहरे पर अहं का भाव था। 

मैं चुपचाप उसे सुनता रहा। 

फिर मैंने उससे पूछा कि एक रोटी तुम्हारी प्लेट से मैं भी खा लूं? वो समझ नहीं पाया कि मैं क्या कह रहा हूं। उसने बस हां में सिर हिला दिया। 

मैंने एक रोटी उसकी प्लेट से उठा ली, और सब्जी के साथ खाने लगा। 

वो चुपचाप मुझे देखता रहा। मैंने उसके खाने की तारीफ की, और कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है। 

वो चुप रहा। 

मैंने फिर उसे कुरेदा। तुम बहुत महत्वपूर्ण सीट पर बैठे हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं। तो क्या तुम अपनी कुर्सी की इज्जत करते हो?

अब वो चौंका। उसने मेरी ओर देख कर पूछा कि इज्जत? मतलब?

मैंने कहा कि तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, तुम न जाने कितने बड़े-बड़े अफसरों से डील करते हो, लेकिन तुम अपने पद की इज्जत नहीं करते। 

उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने? मैंने कहा कि जो काम दिया गया है उसकी इज्जत करते तो तुम इस तरह रुखे व्यवहार वाले नहीं होते। 

देखो तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम दफ्तर की कैंटीन में अकेले खाना खाते हो, अपनी कुर्सी पर भी मायूस होकर बैठे रहते हो, 
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लोगों का होता हुआ काम पूरा करने की जगह अटकाने की कोशिश करते हो।

मान लो कोई एकदम दो बजे ही तुम्हारे काउंटर पर पहुंचा तो तुमने इस बात का लिहाज तक नहीं किया कि वो सुबह से लाइऩ में खड़ा रहा होगा, 

और तुमने फटाक से खिड़की बंद कर दी। जब मैंने तुमसे अनुरोध किया तो तुमने कहा कि सरकार से कहो कि ज्यादा लोगों को बहाल करे। 

मान लो मैं सरकार से कह कर और लोग बहाल करा लूं, तो तुम्हारी अहमियत घट नहीं जाएगी? 
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हो सकता है तुमसे ये काम ही ले लिया जाए। फिर तुम कैसे आईएएस, आईपीए और विधायकों से मिलोगे?

भगवान ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनाने के लिए। लेकिन अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठाने की जगह रिश्ते बिगाड़ रहे हो। 

मेरा क्या है, कल भी आ जाउंगा, परसों भी आ जाउंगा। ऐसा तो है नहीं कि आज नहीं काम हुआ तो कभी नहीं होगा। तुम नहीं करोगे कोई और बाबू कल करेगा। 

पर तुम्हारे पास तो मौका था किसी को अपना अहसानमंद बनाने का। तुम उससे चूक गए। 

वो खाना छोड़ कर मेरी बातें सुनने लगा था। 

मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते नहीं कमाए तो सब बेकार है। 
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क्या करोगे पैसों का? अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे घर वाले भी तुमसे दुखी रहेंगे। यार दोस्त तो नहीं हैं, 

ये तो मैं देख ही चुका हूं। मुझे देखो, अपने दफ्तर में कभी अकेला खाना नहीं खाता। 

यहां भी भूख लगी तो तुम्हारे साथ खाना खाने आ गया। अरे अकेला खाना भी कोई ज़िंदगी है?

मेरी बात सुन कर वो रुंआसा हो गया। उसने कहा कि आपने बात सही कही है साहब। मैं अकेला हूं। पत्नी झगड़ा कर मायके चली गई है।
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 बच्चे भी मुझे पसंद नहीं करते। मां है, वो भी कुछ ज्यादा बात नहीं करती। सुबह चार-पांच रोटी बना कर दे देती है, और मैं तनहा खाना खाता हूं।
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 रात में घर जाने का भी मन नहीं करता। समझ में नहीं आता कि गड़बड़ी कहां है? 

मैंने हौले से कहा कि खुद को लोगों से जोड़ो। किसी की मदद कर सकते हो तो करो। 
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देखो मैं यहां अपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए आया हूं। मेरे पास तो पासपोर्ट है। 

मैंने दोस्त की खातिर तुम्हारी मिन्नतें कीं। निस्वार्थ भाव से। इसलिए मेरे पास दोस्त हैं, तुम्हारे पास नहीं हैं। 

वो उठा और उसने मुझसे कहा कि आप मेरी खिड़की पर पहुंचो। मैं आज ही फार्म जमा करुंगा। 

मैं नीचे गया, उसने फार्म जमा कर लिया, फीस ले ली। और हफ्ते भर में पासपोर्ट बन गया। 

बाबू ने मुझसे मेरा नंबर मांगा, मैंने अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया और चला आया।

कल दिवाली पर मेरे पास बहुत से फोन आए। मैंने करीब-करीब सारे नंबर उठाए। सबको हैप्पी दिवाली बोला। 

उसी में एक नंबर से फोन आया, "रविंद्र कुमार चौधरी बोल रहा हूं साहब।"

मैं एकदम नहीं पहचान सका। उसने कहा कि कई साल पहले आप हमारे पास अपने किसी दोस्त के पासपोर्ट के लिए आए थे, और आपने मेरे साथ रोटी भी खाई थी। 

आपने कहा था कि पैसे की जगह रिश्ते बनाओ। 

मुझे एकदम याद आ गया। मैंने कहा हां जी चौधरी साहब कैसे हैं?

उसने खुश होकर कहा, "साहब आप उस दिन चले गए, फिर मैं बहुत सोचता रहा।
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 मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते हैं, लेकिन साथ खाना खाने वाला कोई नहीं मिलता। 
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सब अपने में व्यस्त हैं। मैं 

साहब अगले ही दिन पत्नी के मायके गया, बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया। वो मान ही नहीं रही थी।

वो खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेट से एक रोटी उठा ली, 

कहा कि साथ खिलाओगी? वो हैरान थी। 

रोने लगी। मेरे साथ चली आई। बच्चे भी साथ चले आए।

साहब अब मैं पैसे नहीं कमाता। रिश्ते कमाता हूं। जो आता है उसका काम कर देता हूं। 

साहब आज आपको हैप्पी दिवाली बोलने के लिए फोन किया है।

अगल महीने बिटिया की शादी है। आपको आना है।

अपना पता भेज दीजिएगा। मैं और मेरी पत्नी आपके पास आएंगे।

मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा था कि ये पासपोर्ट दफ्तर में रिश्ते कमाना कहां से सीखे? 

तो मैंने पूरी कहानी बताई थी। आप किसी से नहीं मिले लेकिन मेरे घर में आपने रिश्ता जोड़ लिया है। 

सब आपको जानते है बहुत दिनों से फोन करने की सोचता था, लेकिन हिम्मत नहीं होती थी। 

आज दिवाली का मौका निकाल कर कर रहा हूं। शादी में आपको आना है। 
बिटिया को आशीर्वाद देने। रिश्ता जोड़ा है आपने। मुझे यकीन है आप आएंगे। 

वो बोलता जा रहा था, मैं सुनता जा रहा था। सोचा नहीं था कि सचमुच उसकी ज़िंदगी में भी पैसों पर रिश्ता भारी पड़ेगा। 

लेकिन मेरा कहा सच साबित हुआ। आदमी भावनाओं से संचालित होता है। कारणों से नहीं। कारण से तो मशीनें चला करती हैं

पसंद आए तो अपनें अज़ीज़ दोस्तों को जरुर भेजें एंव इंसानियतन की भावना को आगे बढ़ाएँ 

पैसा इन्सान के लिए बनाया गया है, इन्सान पैैसै के लिए नहीं बनाया गया है!!

""" जिंदगी में किसी का साथ ही काफी है,, कंधे पर रखा हुआ हाथ ही काफी है,,,, 
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दूर हो या पास क्या फर्क पड़ता है,, क्योंकि अनमोल रिश्तों का तो बस एहसास ही काफी है * । । 

अगर आपके दिल को छुआ हो तो इस मैसेज से कुछ सीखने की कोशिश करना ,,
      शायद आपकी दुनिया भी बदल जाये ।।।

अगर मरने के बाद भी जीना चाहो तो एक काम जरूर करना, पढ़ने लायक कुछ लिख जाना या लिखने लायक कुछ कर जाना I 

याद रखना, पैसा तो सबके पास हैं, किसी के पास कम है, तो किसी के पास ज्यादा है,ये सोचो कि रिश्ते किसके ज्यादा है।।।।।।                                                                                        आप भी रिश्ते बनाइये.......
  सदा खुश रहिये.....❣️








(4) विचार पुष्प

    विश्वास...एक पर्वत भी खिसका सकता है...लेकिन...मन का संदेह, दूसरा पर्वत खड़ा कर सकता है......
 
    भाषा एक ऐसा वस्त्र है..जिस को यदि शालीनता से नहीं पहना तो संपूर्ण जीवन ही निर्वस्त्र सा हो जाता है......

    सलाह हारे हुए की..तजुर्बा जीते हुए का..और..दिमाग खुद का..इंसान को जीवन में कभी भी हारने नही देते है......

    कुछ वस्तुए..कमजोर..की सुरक्षा में भी सुरक्षित रहती हैं, जैसे..मिटटी की गुल्लक..में  लोहे के सिक्के......

    द्वार पर शुभ-लाभ लिखने का अर्थ है..शुभ विचार रखिये..लाभ ही लाभ होगा......

    लालच से भरे हुए रास्ते अक्सर फिसलन भरे होते हैं, जो इंसानो का अस्तित्व तक मिटा देते है......








(5) जीवन संगिनी -धर्म पत्नी की अंतिम विदाई 
(कृपया बिना रोए पढ़ें) 🙂
अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊंचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया।  आपका फला-फूला परिवार सब पत्नि की मेहरबानी हैं। आपकी सुविधा असुविधा आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है। तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है। आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है। चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ। मेरा चश्मा व मोबाईल लाओ। ये ऐसा है और वो ऐसा है। कब अक्कल आएगी तुम्हें ? ऐसे ताने मारते हो।  उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है। समाज मे सिर ऊँचा, सीना तानकर चलते हों। वरना दुनिया में आपको कोई भी नहीं पूछेगा। अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें :
एक दिन पत्नी अचानक रात को गुजर जाती है! सब तरफ सन्नाटा है|
घर में रोने की आवाज आ रही है। पत्नी का अंतिम दर्शन चल रहा था।
उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन :
मैं अब जा रही हूँ अब हम फिर कभी नहीं मिलेंगे
तो पति देव मैं जा रही हूँ।
जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जियेंगे ऐसा वचन दिया था। पर इस समय अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझे पता नहीं था।
मुझे जाने दो।
अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। आप अकेले पड़ जायेंगे।
बहुत दर्द हो रहा है मुझे।
लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नही मान रहा पर अब मै कुछ नहीं कर सकती।
मुझे जाने दो
बेटा और बहु रो रहे है देखो। 
मैं ऐसा नहीं देख सकती। उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। पोता दादी दादी दादी माँ कर रहा है, उसे शांत करो, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे है। और हां आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न होना। आँखों से आँसू मत बहने देना।
मुझे जाने दो
अभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत  शरीर देखकर बहुत रोएगी, तड़प-तड़प कर रोयेगी, बैहोश हो जायेगी। तब उसे संभालना और शांत करना। और आप भी बिल्कुल भी नही रोना। बस इतनी हिम्मत रखना।
मुझे जाने दो
जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। यह प्रकृति का नीयम हैं। धीरे-धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम मे डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत  जल्दी से डाल देना। गुमसुम न रहना |
मुझे जाने दो
आप ने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूं। विधाता ने इतने दिन ही साथ रहने का लेख लिखा था।
मुझे जाने दो
आपको BP और डायबिटीज है। गलती से भी मीठा नही खाना, न ही कही कार्यक्रम में खाना खाने जाना, अन्यथा परेशानी होगी।  
सुबह उठते ही दवा लेना न भूलना। चाय अगर आपको देर से मिलती है तो बहु पर गुस्सा न करना। अब मैं नहीं हूं, यह समझ कर जीना सीख लेना।
मुझे जाने दो
बेटा और बहू कुछ बोले तो चुपचाप सब सुन लेना और सह लेना। कभी गुस्सा नही करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नही होना, कि मैं अकेला हूँ |
मुझे जाने दो
अपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों  के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जियें ताकि जीवन को संयमित किया जा सके। अगर मेरी याद आये तो चुपचाप रो लेना, लेकिन कभी कमजोर नही होना।
मुझे जाने दो
मेरा रूमाल कहां है, मेरी चाबी कहां है अब ऐसे चिल्लाना नही। सब कुछ चयन से रखना और याद रखने की आदत करना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहु भूल जाय तो सामने से याद कर लेना। जो भी रूखा - सूखा खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना।
मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।
मुझे जाने दो
बुढ़ापे की छड़ी भूलना नही और धीरे-धीरे चलना।
यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा।
तो आप चुपचाप अनाथ आश्रम चले जाना, बच्चे व बहू की बुराई मत करना ।
मुझे जाने दो
शाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना। प्यास लगे तो पानी पी लेना। एक पुरानी टार्च है, उसे ठीक करा लेना।
अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नही, उसका ध्यान रखना।
मुझे जाने दो
शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नही मिलेगी। आप बगीयन को मेरी जगह, प्यार से निहारते रहना।
मुझे जाने दो
उठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल लेना, किसी की प्रतीक्षा नही करना।
चाय-नाश्ता मिले न मिले तो ,
चुपचाप सह लेना।
मुझे जाने दो
और हाँ... एक बात तुमसे छिपाई है, मुझे माफ कर देना।
आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 14 लाख रुपये जमा किये हैं। बचत करना मेरी दादी ने सिखाया था। एक-एक रुपया जमा कर के कोने में रख दिया। इसमें से पाँच-पाँच लाख बहू और बेटी को देना और अपने खाते में चार लाख रखना आपके लिए।
मुझे जाने दो
भगवान की भक्ति और पूजा सामयिक स्वाध्याय  करना भूलना नही। अब  फिर कभी नहीं मिलेंगे !!
मुझसे कोईभी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना।
 मुझे जाने दो
 मुझे जाने दो
आपकी जीवन संगिनी

   भारतीय नारी नर की खान है..
   यू कहो तो हिन्दुस्तान की शान है..